"धरती की तो हमने तकसीम कर ली मगर क्या आसमान को भी हम बाँट पाएँगे" "धरती की तो हमने तकसीम कर ली मगर क्या आसमान को भी हम बाँट पाएँगे"
सारे खत जो मेरे लिए हैं मेरी विरासत वो भूले-बिसरे खत। सारे खत जो मेरे लिए हैं मेरी विरासत वो भूले-बिसरे खत।
मगर कितना उन्हें समझते हैं, ये उन्हे ज़रा समझाए कोई। मगर कितना उन्हें समझते हैं, ये उन्हे ज़रा समझाए कोई।
तुम कल्प, अल्प और विकल्प मेरे। तुम बिन एक कल्प गुजरा, निसदिन मैं कितना अल्प गुजरा। तुम कल्प, अल्प और विकल्प मेरे। तुम बिन एक कल्प गुजरा, निसदिन मैं कितना ...
छीनकर हाथ की रोटियाँ भी खा लेता है ये दोस्त कैसा जो मेरी भूख भी जान लेता है छीनकर हाथ की रोटियाँ भी खा लेता है ये दोस्त कैसा जो मेरी भूख भी जान लेता है
भविष्य की नन्ही कलियों पर भी दे ध्यान तू। वृक्षों के अभाव में वो कदापि न खिलेंगी भविष्य की नन्ही कलियों पर भी दे ध्यान तू। वृक्षों के अभाव में वो कदापि न खिले...